नंदनकानन प्राणी उद्यान :-
चर्चा में क्यों- कोविड-19 महामारी के चलते इस प्राणी उद्यान को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड रहा है। ऐसे में जानवरों के लिए संसाधन जुटाने हेतु इस प्राणी उद्यान द्वारा ‘’एडाप्ट –एन-एनीमल’’ कार्यक्रम की पुन: शुरुआत की गयी है।
आईये जाने यह कार्यक्रम क्या है- ‘’एडाप्ट-एन-एनीमल’’ कार्यक्रम पशु संरक्षण एवं कल्याण में जन भागादारी बढाने और जुटाने के लिए यह सभी जानवरों हेतु 2008 में आरंभ किया गया था।
जब कोई व्यक्ति या संगठन किसी पशु या पक्षी को गोद लेता है तो उसके द्वारा प्रदान की गई धनराशि का इस्तेमाल पशु या पक्षी की देखभाल,भोजन,प्रबंधन, निवास आदि के संवर्द्धन एवं नवीनीकरण में किया जाता है।
नंदनकानन प्राणी उद्यान के अधिकारियों ने पशु प्रेमियों के लिए रु 500 से लेकर रु 2,50000 तक की धनराशि देने का आग्रह किया है। जिसके बदले में व्यक्ति को थैंक्यू कार्ड, मुफ्त प्रवेश टिकट और आयकर में छूट प्रदान की
जायेगी
आइये इस उद्यान के बारे में कुछ प्रमुख तथ्यों के बारे में जान लेते हैं:-
इसे वर्ष 1960 में स्थापित किया गया था।
यह एक ऐसा उद्यान है जिसे वन के अंदर ही स्थापित किया गया है। और यह पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण से संबंद्ध है।
यह व्हाइट टाइगर एवं मेलानिस्टिक टाइगर के लिए दुनिया का पहला चिडियाघर है
इस उद्यान में भारतीय पैंगोलिन का एकमात्र संरक्षण प्रजनन केंद्र है।
यह भारत का एकमात्र प्राणी उद्यान है जो ‘’ वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज एंड एक्वेरियम’’ का संस्थागत सदस्य है
वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज एंड एक्वेरियम- इसकी स्थापना 1935 में हुई थी। यह विश्व के चिड़ियाघरों एवं एक्वेरियम समुदाय के लिए एक ‘’अंब्रेला संगठन या नेतृत्व संगठन का रुप में कार्य करता है।
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