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DAILY PIB FACTS /NOTES/ FOR UPSC/SSC/PSC




संस्कृति पर्व पत्रिका :- 

  केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडिओ काफ्रेंसिंग के द्वारा संस्कृति पर्व पत्रिका के विशेषांक “भारत 1946-2020, नोआखाली से दिल्ली तक’’ के ई- संस्करण का लोकार्पण किया
पत्रिका संस्कृति पर्व के विशेषांक “नोआखाली से दिल्ली तक” में भारत रत्न महामना श्री मदन मोहन मालवीय जी का अंतिम वक्तव्य, जो 1946 के कल्याण विशेषांक में छपा था, उसे पुनः प्रकाशित किया जा रहा है।




मैसूर: क्राफ्ट कारवां आफ कर्नाटक

पर्यटन मंत्रालय ने ‘देखो अपना देश‘ श्रृंखला के तहत ‘मैसूर: क्राफ्ट कारवां आफ कर्नाटक‘ नामक वेबीनार के माध्यम से मैसूर के सदियों पुराने शिल्पों को प्रस्तुत किया

14 अप्रैल, 2020 को आरंभ देखो अपना देश वेबीनार श्रृंखला ने अभी तक 19 सत्र संचालित किए हैं जिनमें उन विविध पर्यटन उत्पादों एवं अनुभवों को प्रदर्शित किया गया है जिसकी पेशकश भारत पूरे देश में करता है। इस श्रृंखला का अभी तक 86456 व्यक्तियों ने अवलोकन किया है।
मोबाइल इनडोर डिस्इंफेक्शन स्प्रेयर :-

सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग इंस्टीच्यूट (सीएमईआरआई), डुंगरपुर के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए दो मोबाइल इनडोर डिस्इंफेक्शन स्प्रेयर इकाइयों का विकास किया है। इन इकाइयों का उपयोग विशेष रूप से अस्पतालों में प्रभावी तरीके से पैथाजेनिक माइक्रो-आर्गेनिज्म की सफाई एवं डिस्इंफेक्ट करने के लिए किया जा सकता है।



स्प्रेयर मैपिंग फीचरों तथा एक्सटेंडेबल आम्र्स से भी सुसजिज्त हैं जिससे कि छुपे हुए क्षेत्रों तक पहुंच सकें और व्यापक रूप से सफाई कर सकें इस प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता वर्तमान कोविड-19 संकट के बाद भी बनी रहेगी।


 

हाल ही में भारत सरकार और World Bank ने COVID-19 महामारी से प्रभावित गरीब और संवेदनशील परिवारों को सामाजिक-आर्थिक सहायता प्रदान करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करने हेतु 1 बिलियन डॉलर के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं।

👉इस नवीन सहायता को दो चरणों में वित्त पोषित किया जाएगा- 

(१)वित्त वर्ष 2020 के लिए 750 मिलियन डॉलर का तत्काल आवंटन 

और 

(२)250 मिलियन डॉलर की दूसरा किश्त को वित्त वर्ष 2021 के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के अपर सचिव, श्री समीर कुमार खरे और विश्व बैंक की ओर से भारत के निदेशक श्री जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।

प्रथम चरण :- 

इस अभियान के पहले चरण को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से देश भर में लागू किया जाएगा। यह व्यापक स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसे पूर्व-मौजूदा राष्ट्रीय मंचों और कार्यक्रमों की मूल व्यवस्थाओं का उपयोग करके शीघ्र ही नकद हस्तांतरण और खाद्य लाभों में मदद प्रदान करने के साथ-साथ कोविड-19 राहत प्रयासों में शामिल आवश्यक श्रमिकों के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कमजोर समूहों, विशेष रूप से प्रवासियों और अनौपचारिक श्रमिकों को लाभान्वित भी करेगा।


दूसरा चरण :- 

इस अभियान के पहले चरण को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से देश भर में लागू किया जाएगा। यह व्यापक स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसे पूर्व-मौजूदा राष्ट्रीय मंचों और कार्यक्रमों की मूल व्यवस्थाओं का उपयोग करके शीघ्र ही नकद हस्तांतरण और खाद्य लाभों में मदद प्रदान करने के साथ-साथ कोविड-19 राहत प्रयासों में शामिल आवश्यक श्रमिकों के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए  पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कमजोर समूहों, विशेष रूप से प्रवासियों और अनौपचारिक श्रमिकों को लाभान्वित भी करेगा।

इस घोषणा के बाद COVID-19 से लड़ने के लिये विश्व बैंक द्वारा भारत को दी गई मदद की राशि 2 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। बीते महीने भी विश्व बैंक ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिये 1 बिलियन डॉलर के समर्थन की घोषणा की गई थी।

क्यों जरूरी है वित्त पोषण कार्यक्रम  :- 
भारत की आधी से ज्यादा जनसंख्या प्रति दिन 3 डालर से कम अर्जित करती है। जो गरीबी रेखा से नीचे का जीवन निर्वाह कर रहा है। भारत की 90 प्रतिषत से अधिक श्रम बल अनौपचारिक क्षेत्रो में जुड़ा हुआ है। ऐसे में न उनके पास न ही सामाजिक सुरक्षा है  जैसे वैतनिक रोग अवकाश , सामाजिक बीमा सुरक्षा इत्यादि । 

9 मिलियन से अधिक प्रवासी, जो हर वर्ष काम करने के लिए राज्य की सीमाओं को पार करते हैं, वे भी अधिक जोखिम में हैं क्योंकि, भारत में व्यापक स्तर पर सामाजिक सहायता कार्यक्रम राज्यों के भीतर के निवासियों को लाभ प्रदान करते हैं। महत्वपूर्ण रूप से, भारत के शहरों और कस्बों को लक्षित समर्थन की भी आवश्यकता होगी क्योंकि भारत के सर्वाधिक व्यापक सामाजिक संरक्षण कार्यक्रम ग्रामीण आबादी पर केंद्रित हैं

आगे की राह :- 
उल्लेखनीय है कि COVID-19 महामारी ने भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में मौजूद विभिन्न खामियों को उजागर किया है, ऐसे में आवश्यक है कि इस अवसर का लाभ उठाते हुए हम अपनी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने की दिशा में प्रयास करें

आत्म निर्भर भारत के तहत कृषि से संबंधित राहत उपायों की घोषणा :-

किसानों के लिए फार्म-गेट अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष 

• सूक्ष्‍म खाद्य उद्यमों (एमएफई) को औपचारिक रूप देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना 
• प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के जरिए मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये
• राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 
• पशुपालन अवसंरचना विकास कोष बनाना - 15,000 करोड़ रुपये
•हर्बल खेती को बढ़ावा: 4,000 करोड़ रुपये का परिव्यय 
• मधुमक्खी पालन की पहल - 500 करोड़ रुपये 
• ‘टॉप’ से ‘टोटल’ तक - 500 करोड़ रुपये 
• कृषि क्षेत्र के लिए गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधार के लिए उपाय 
• किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन 
• किसानों को विपणन के विकल्प प्रदान करने के लिए कृषि विपणन सुधार 
• कृषि उपज मूल्य और गुणवत्ता आश्वासन

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया।

‘टॉप’ टू ‘टोटल’ (TOP to TOTAL):

  • ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय’ (Ministry of Food Processing Industries-MOFPI) द्वारा संचालित 'ऑपरेशन ग्रीन्स'; जो वर्तमान में टमाटर, प्याज और आलू  (Tomatoes, Onions and Potatoes-TOP) को कवर करता है, को सभी फलों एवं सब्जियों तक विस्तृत किया जाएगा।
  • योजना के माध्यम से फसलों के परिवहन तथा भंडारण पर 50% सब्सिडी प्रदान की जाएगी। योजना को अगले 6 महीनों के लिये प्रायोगिक रूप में शुरू किया जाएगा तथा बाद में इसे आगे बढ़ाया एवं विस्तारित किया जाएगा।

औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्‍साहन (Promotion of Herbal Cultivation):

  • अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपए के परिव्‍यय से हर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। औषधीय पौधों के लिये क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
  • ‘राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड’ (National Medicinal Plants Board) गंगा के किनारे 800 हेक्‍टेयर क्षेत्र में ‘औषधि गलियारा’ विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।

SOURCE :- pib

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