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नीलगिरि हाथी कॉरीडोर चर्चा मे क्यों

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नीलगिरि हाथी कोरिडोर :-

 

टैग्स :- सामान्य अध्ययन-।।।, संरक्षण

 

चर्चा में क्यों :- हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने नीलगिरी हाथी कॉरीडोर पर मद्रास उच्च न्यायालय के वर्ष 2011 के आदेश को बरकरार रखा है जो हाथियों से संबंधित ‘’राइट आफ पैसेज’’ और क्षेत्र में होटल/रिसोर्टस को बंद करने की पुष्टि करता है।

 

‘’राइट आफ पैसेज’’ से तात्पर्य हाथियों के गलियारों से है।  हाथी गलियारा भूमि का एक संकीर्ण भाग होता है जो दो बड़े आवासों को आपस में जोडता है। ‘राइट आफ पैसेज’ का प्रकाशन प्रोजेक्ट एलीफेंट और ब्रिटेन स्थित एनजीओ एलीफैंट फेमिली के साथ सहयोग करते हुए वन्यजीव ट्रस्ट आफ इंडिया द्वारा किया गया। इसमें 101 गलियारों का वर्णन है। जिनमे से 28 दक्षिण भारत में, 25 मध्य भारत में, पूर्वोत्तर भारत में 23 और उत्तरी पश्चिम बंगाल मे 14 एवं उत्तर पश्चिमी भारत में 11 हाथी गलियारे हैा।

 

 

राज्यों के हिसाब से हाथी गलियारे की संख्या :-

 

पश्चिम बंगाल में 14

तमिलनाडु में 13

उत्तराखंड में 11

 

नीलगिरी हाथी कोरीडोर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में मुदमुलाई राष्ट्रीय उद्यान के पास मसिनागुडी क्षेत्र में है।

 

 

 


मुदमुलाई राष्ट्रीय उद्यान :- मुदमुलाई का अर्थ है- ‘’प्राचीन पहाड़ी श्रंखला’’। यह 65 मिलियन वर्ष पुराना है।इसे टाइगर रिजर्व भी घोषित किया है। यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में तीन राज्यों कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु  के ट्राई जंकशन पर है।

 

 

यह अभ्यारण्य पांच श्रेणियों में विभाजित है- मसिनागुडी, थेपकाडु, मुदुमलाई, करगुडी और नेल्लोटा

 

यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है। इसके पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभ्यारण्य केरल , उत्तर में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटक , दक्षिण में मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान एवं साइलैंट वैली है।

 

प्रोजेक्ट एलीफैंट- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और इसे फरवरी, 1992 में हाथियों के आवास एवं गलियारों की सुरक्षा के लिए लांच किया गया था।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हाथी रेंज वाले राज्यों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।

 

भारतयी संविधान का अनुच्छेद 51ए(जी) :-  इसमें कहा गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह वनों, झीलेां , नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार कार्य करेगा और जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखेगा


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