न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices –MSPs) क्या है?
सैधांतिक रूप में, न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित वह मूल्य होता है जिस पर किसान अपनी उपज को सीजन के दौरान बेच सकते हैं। जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है।
MSP को कौन निर्धारित करता है?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA), कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर प्रत्येक बुवाई के मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है।
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
मूल्य अस्थिरता किसानों का जीवन को कठिन बनाती है। यदि किसी फसल का बम्पर उत्पादन होने या बाजार में उसकी अधिकता होने के कारण उसकी कीमत घोषित मूल्य की तुलना में कम हो जाती है तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों की अधिकांश फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती हैं।
MSP यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को प्रतिकूल बाजारों में उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य मिले। MSP का उपयोग सरकार द्वारा किसानों को उन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है जिनकी बाजार में आपूर्ति मात्र में होती है।
न्यूनतम मूल्य निर्धारण करने में ध्यान रखे जाने वाले कारक
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय निम्नलिखित कारकों का ध्यान रखता है।
- मांग और आपूर्ति
- उत्पादन की लागत
- बाजार में मूल्य रुझान, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों
- अंतर-फसल मूल्य समता
- कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
- उत्पादन लागत पर लाभ के रूप में न्यूनतम 50%; तथा
- उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी के संभावित प्रभाव।