ओडिशा सरकार द्वारा कोविड -19 की अनिश्चितता के कारण उतपन्न होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए अनुबंध कृषि का अध्यादेश लाया गया है।
इस अध्यादेश के माध्यम से किसान और निवेशको दोनो को परस्पर लाभ देने के लिए यह अनुबंध कृषि सिस्टम लाया गया है।
इससे उत्पादन और कृषि की सुधार के तौर पर देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा सरकार द्वारा अनुबंध कृषि हेतु एक ‘कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एंड सर्विसेज़’ (Contract Farming and Services) समिति भी बनाई जाएगी। यह समिति परफॉरमेंस की रिव्यु करेगी।
निवेशको के द्वारा दी जाने वाले लोन या अग्रीम को फसल बेचकर चुकाया जा सकता है।
अनुबंध कृषि समझौते में पार्टिसिपेट करना:-
खरीदार और किसानों के मध्य हुआ एक ऐसा समझौता है, जिसमें इसके तहत किये जाने वाले कृषि उत्पादन की प्रमुख शर्तों को परिभाषित किया जाता है।
इसके तहत किसान किसी विशेष कृषि उत्पाद की उपयुक्त मात्रा खरीदारों को देने के लिये सहमति व्यक्त करते हैं और खरीदार उस उत्पाद को खरीदने के लिये अपनी स्वीकृति देता है।
भूमि के अधिकार का स्थानांतरण नही होता।
अनुबंध कृषि के लाभ :-
किसानों में प्रतिस्पर्धा का भाव उतपन्न होना
बाजार आसानी से उपलब्ध हो जाना
कृषि की गुणवत्ता में सुधार
कृषि उत्पाद के लिये मूल्य का निर्धारण उत्पादक और फर्मों के मध्य वार्ता द्वारा किया जाता है।
अनुबन्ध कृषि की हानि/चुनौतियां:-
बड़े किसान और फर्म्स का ज्यादा लाभ होना जिससे छोटे किसानों की क्षमता को रेकॉग्निसशन नही मिल पाता
खरीददार एक एवम विक्रेता अनेक
किसानो का समय मे न भुगतान ,
किसान एवं कंपनियों के बीच विवाद
आगे की राह:-
यह एक अच्छा विचार है इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद ली सकती है। एव कृषि को एक व्यसाय के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। परन्तु इसके लिए किसानों का शोषण, विवादों का निपटारा इत्यादि का समाधान पहले करना होगा।
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