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नेपाल भारत के बीच कालापानी, लिपुलेख को लेकर सीमा विवाद

भारत नेपाल के बीच सुस्ता क्षेत्र,  कालापानी विवाद




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चर्चा में क्यों :-

अभी हाल ही में नेपाल के द्वारा अपने देश का नक्शा जारी किया गया  है जिसमे नेपाल ने उत्तराखंड के कालापानी, लिपियांधुरा, लिपुलेख को  अपने नक्शे में शामिल किया है और अपने देश का संप्रभु क्षेत्र बताया गया है। 
ध्यातव्य है कि 6 महीने पूर्व भारत सरकार द्वारा ऐसा ही मानचित्र जारी किया गया था जिसमे कालापानी को भारत का हिस्सा बताया गया था

वर्तमान विवाद कारण:- अभी हाल ही में भारत सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख दर्रे से होकर जाने वाला नया मार्ग तैयार किया  जिस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी


भारत नेपाल का यह सीमा विवाद 1960 के दशक से चला आ रहा है । 

नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, सुगौली संधि (वर्ष 1816) के तहत काली (महाकाली) नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र, जिनमें लिम्पियाधुरा, कालापानी  और लिपुलेख  शामिल हैं, नेपाल का अभिन्न अंग हैं।भारत इन क्षेत्रों को उत्तरखण्ड के पिथौराघर का क्षेत्र मानता है जबकि नेपाल इसे धारचूला जिले का हिस्सा मानता है।


सुस्ता क्षेत्र विवाद:- भारत और नेपाल के बीच बिहार  सीमा निर्धारण गंडक नदी (नेपाल में इसे नारायणी नदी कहा जाता है) है। गण्डक नदी के मार्ग बदलने की प्रवत्ति के कारण यह विवाद उपजा है।
नेपाल का मानना है कि पूर्व में सुस्ता क्षेत्र गंडक नदी के दाएँ किनारे अवस्थित था, जो नेपाल का हिस्सा था। लेकिन समय के साथ नदी के मार्ग में परिवर्तन के कारण यह क्षेत्र वर्तमान में गंडक के बाएँ किनारे पर अवस्थित है। वर्तमान में इस क्षेत्र को भारत द्वारा नियंत्रित किया जाता है।


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नदियो के मार्ग बदले के कारण सीमाओं में हुए परिवर्तन के बारे में अंतरष्ट्रीय कानून का मत

अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार, किसी नदी के मार्ग में परिवर्तन होता है तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण नदी के मार्ग में बदलाव के स्वरूप के आधार पर किया जाता है अर्थात नदी मार्ग में आकस्मिक बदलाव  हो तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा अपरिवर्तित रहती है, यदि नदी मार्ग में बदलाव धीरे-धीरे हो  तो सीमा उसके अनुसार परिवर्तित होती है।


निष्कर्ष

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को कूटनीतिक तरीके से हल किया जाए। एव  पारस्परिक तरिके से विचार-विमर्श करते हुए वैकल्पिक समाधान निकाला जाए

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