United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD
(United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD)
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत तीन रियो अभिसमय (Rio Conventions) में से एक है। अन्य दो अभिसमय हैं-
जैव विविधता पर अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD)।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC)।
UNCCD एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है। मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC)
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC)
यह एक अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय है जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
यह अभिसमय जून, 1992 में रियो डी जनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।
वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
UNFCCC की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP) के नाम से जाना जाता है।
कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज (COP)
यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है। इसके तहत विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है। यह हर साल अपने सत्र आयोजित करता है।
COP सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा करता है।
बॉन चुनौती (Bonn Challenge)
बॉन चुनौती (Bonn Challenge):-
बॉन चुनौती एक वैश्विक प्रयास है। इसके तहत दुनिया के 150 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर वर्ष 2020 तक और 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वर्ष 2030 तक वनस्पतियाँ उगाई जाएंगी।
पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2015 में भारत ने स्वैच्छिक रूप से बॉन चुनौती पर स्वीकृति दी थी।
भारत ने 13 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर वर्ष 2020 तक और अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर 2030 तक वनस्पतियाँ उगाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
जैव विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD)
यह अभिसमय वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है।
CBD पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैव विविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के परिस्थितिकीय आधारों को बनाए रखने हेतु प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की गई हैं।
CBD में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल हैं जिनमें से 168 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।
भारत CBD का एक पक्षकार (Party) है।
इस अभिसमय में राष्ट्रों के जैविक संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों की पुष्टि किये जाने के साथ ही तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए है-
- जैव विविधता का संरक्षण
- जैव विविधता घटकों का सत उपयोग
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी।