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कर्ण रोग [Ear Problems]

नमस्कार दोस्तो एक बार पुन: आप सभी का इस ब्लॉग मे स्वागत है। हम सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण टापिक्स को पोस्ट कर रहे है जो कि यूपीएसएसी, पीएससी, एसएससी इत्यादि परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज हम इस पोस्ट में कर्ण रोग के पढेगें। 

कर्ण रोग :-   कान में भी दूसरे अंगों की तरह कई तरह की व्याधियॉं होती है, जिनमें प्रमुख रुप से कान दर्द, स्त्राव तथा सुनने की शक्ति से संबंधित होते हैंं । 


कान दर्द व स्त्राव - कान दर्द के कई कारण हो सकते हैं। जब कान के बाहरे हिस्से में सूजन और फोडें हो तो यह कारण दिखाई दे जाते है। कई बार कान दर्द कान के मध्य भाग के कारण होता है। ठीक से देखने पर बाहरी कान की नली के अंत में कान का पर्दा सूजन या छेद व पूय आता दिख सकता है। इसे मध्यकर्षण शोथ कहते हैं। यह संक्रमण बहुधा गला खराब होने के बाद या बहुत सर्दी होनें पर होता है। 

बधिरता  :- यह समस्या कई तरह की होती है। कौक्लियर तंत्रिका की विक्षितियों के फलस्वरुप तंत्रिका बधिरता उत्पन्न होती है। 

अन्य प्रमुख रोग :-
वेस्टिवयुलर तंत्रिका की विक्षतियों के फलस्वरूप चक्कर (Vertigo), असन्तुलन (Diziness), गतिविभरण (Atxia), एवं अक्षिदोलन (Nystagmus) जैसी समस्यांए उत्पन्न होती है। 

इन रोगों को कम करने की प्रमुख दवाएं:- Stemetil, Vertin, Cinnarzine हैं।


नेत्र तथा दृष्टि (The Eye and Sight) पढ़ने के लिए क्लिक करें :- क्लिक हियर


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