हाल ही में भारत और चीन के शोधकर्ताओं की टीम ने असम में मशरूम की एक नई प्रजाति की खोज की है। स्थानीय निवासी इसे इलेक्ट्रिक मशरूम कहते है यह निर्जीव बांस पर उगता है।
इस प्रजाति को रोरीडोमायज फाइलोस्टैचायडिस नाम से नामांकित किया गया है। इनमे जैव-संदीप्ति का गुण पाया जाता है।
रोरीडोमायज़ (Roridomyces) जीनस से संबंधित प्रजातियाँ बहुत संवेदनशील होती हैं और वे आर्द्र एवं नम परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं।
- जैव-संदीप्ति:- यह एक ऐसी अवस्था है जिसमे पदार्थ स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करता है। वर्णित 120000 कवक प्रजातियों में से लगभग 100 प्रजातियों में जैव-संदीप्ति का गुण पाया जाता है, इनमें से केवल कुछ ही भारत की मूल निवासी हैं। ये कवक आमतौर पर सड़ी हुई लकड़ी या निर्जीव लकड़ी पर उगते हैं।इसका उपयोग प्रायः शिकार करने या पौधों की ओर कीटों को आकर्षित करने में किया जाता है।जैव-संदीप्ति के गुणों से युक्त कवक का सबसे बड़ा जीनस मायसेना (Mycena) अर्थात् बोनट मशरूम (Bonnet Mushroom) है और मायसेना के आनुवांशिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह विशेषता लगभग 160 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुई थी।
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