चर्चा में क्यों:- देश मे कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सुरक्षात्मक कदम के तहत देश की विभिन्न जेलों से लगभग 11077 विचाराधीन कैदियों को और 5,981 दोषियोंरिहा किया गया है।
National Legal Services Authority- NALSA) के अनुसार, COVID-19 के कारण देश की विभिन्न जेलों में भीड़ को कम करने के मिशन के तहत इन कैदियों को रिहा किया गया है।
NALSA के अनुसार, वर्तमान नियमों में दी गई राहत के तहत जो भी कैदी पैरोल (Parole) या अंतरिम जमानत पर रिहा होने के पात्र हैं, उन्हें NALSA के वकीलों के माध्यम से विधिक सहायता प्रदान की गई है। इसी प्रकार दोषियों (Convicts) को भी आवश्यक विधिक सहायता प्रदान की जा रही है।राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण :- इसकी स्थापना विधिक सेवा प्राधिकरण ,1987 के अधिनियम के तहत की गई है।
कार्य :- समाज के कमजोर वर्ग के लोगो को विधिक सहायता उपलब्ध करवाना है। विवादों को सौहार्दयपूर्ण ढंग से निपटारा करने हेतु लोक अदालतों का आयोजन करता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता और अनुच्छेद 22(1) राज्य को बाध्य करता है। भारतीय संविधान के भाग 4 में उल्लेखित नीति निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 39 (A) में अवसर के समानता के आधार पर समान न्याय और गरीब वर्ग के लोगो को मुफ्त विधिक सहायता उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद 39(A), 42 वे संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत निम्नलिखित व्यक्ति मुफ्त सहायता प्राप्त कर सकते हैं:-
- महिलाएं एवं बच्चे
- आद्योगिक श्रमिक
- अनुसूचित जाति एवं जन जाति के सदस्य
- दिव्यांग व्यक्ति
- हिरासत में रखे गए व्यक्ति
- बेगार या अवैध मानव व्यापार से जुड़े
- बड़ी आपदाओं जैसे भूकम्प, बाढ़, सूखा इत्यादी से पीड़ित
- ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 10000 से कम है।
मुफ्त विधिक सेवाएं :-
- कानूनी कार्यवाही में वकील उपलब्ध करवाना।
- कानूनी कार्यवाही में कोर्ट फीस जमा करना
- कानूनी कार्यवाही में आदेशो की प्रमानिक प्रतियां प्राप्त करना
- कानूनी कार्यवाही में अपील और दस्तावेज़ का अनुवाद और छपाई सहित पेपर बुक तैयार करना।
निःशुक विधिक सेवाएं निम्न स्तरों पर प्रदान की जाती है:-
राष्ट्रीय स्तर पर:- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सेक्शन 3 (2)के तहत सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश इसका संरक्षक होता। उच्चतम न्यायालय का दूसरा वरिष्ठतम न्यायाधीश कार्यकारी चैयरमैन होता है।
राज्य स्तर पर :- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण , नालसा के द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करती है एवं प्रभाव में लाती है। लोक अदालतों का गठन किया जाता है।इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा की जाती है और वही संरक्षक होता है।
जिला स्तर पर :- इसका गठन जिला स्तर पर लागू करने के लिए किया गया है। जिला न्यायाधीश इसकी कार्यकारीअध्यक्षता करता है।
ताल्लुका स्तर पर :- तालुक विधिक सेवा प्राधिकरण। इसकी नेतृत्व वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश करता है।
उच्च न्यायालय- उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण
सर्वोच्च न्यायालय- सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण।
उपरोक्त सभी का कार्य नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना और लोक अदालतें चलाना है
विधिक सहायता सिविल और क्रिमिनल दोनों मामलों में प्रदान की जाती है।
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